Wednesday 3 December 2014

किताबें कुछ कहना चाहती हैं



किताबें,कुछ कहना चाहती है,.... किताबे,कुछ कहना चाहती है, तुम्हारे पास रहना चाहतीं है, किताबें करती है बातें, बीते जमानों की, दुनिया कि इंसानों की! आज की, कल की,एक एक पल की, खुशियों की, गमो की,फूलों और बमों की, जीत की, हार की, प्यार कि ,मार की, क्या तुम नहीं सुनोगे,इन किताबो की बाते-? किताबें कुछ कहना चाहती है, तुम्हारे पास रहना चाहती है! किताबों में चिडियाँ चह्चहाती है, किताबों में खेतियाँ लहलहाती है! किताबों में,झरने गुनगुनाते है, परियों के किस्से सुनाते है! किताबों में राकेट का राज है, किताबों में साइंस की आवाज है! किताबों का कितना बड़ा संसार है किताबो में ज्ञान का भण्डार है, क्या तुम इस संसार में नही आना चाहोगे? किताबे, कुछ कहना चाहती है, तुम्हारे पास रहना चाहतीं है!




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