Friday 21 August 2015

शीर्षक :-पंचतंत्र की कहानियाँ
लेखक :-विष्णु शर्मा
प्रकाशक :- विकास पेपर बैक्स, नई दिल्ली
पृष्ठ :- ५०
मूल्य ;- रुपये ५०.००


हमें इस पुस्तक की समीक्षा करते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है।  हमने इस पुस्तक को गहराई से पढ़ा है, और सभी कहानियों का भरपूर आनंद लिया।  वास्तव में यह पुस्तक मनोरंजक, ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायक है।  इस पुस्तक में कुल बीस कहानियाँ हैं। मैं "गधे का दिमाग" कहानी पर अपने विचारों को रखना चाहता हूँ।  कहानी इस प्रकार हे :- आराम से भोजन मिलने के लिए एक सियार ने एक शेर से जान-पहचान बढ़ा लिया था।  शेर जब भी शिकार मरता तो बचा हुआ मांस सियार के लिए छोड़ देता था। इधर कुछ दिनों से शिकार न मिलने के कारण सियार भूखा रह गया। उसने सोचा यदि इसी तरह से कुछ और दिनों तक भोजन न मिला तो वह जल्दी ही मर जाएगा. सियार ने अपना दिमाग लगाया और भोजन पाने का उपाय पाया। शिकार के लिए उसने एक गधे को को यह कह कर तैयार कर लिया कि " महाराज उसे अपना मंत्री बनाना चाहते हैं। " लालच में आकर गधा शेर के पास चलने के लिए राजी हो गया।  शेर ने एक ही वार से गधे का काम तमाम कर दिया।यहाँ सियार ने गथे का दिमाग खाने का विचार बनाया।  उसने शेर से कहा " महाराज भोजन से पहले स्नान करना सेहत के लिए लाभदायक है। " स्नान के लिए शेर नदी की तरफ चला गया। इधर सियार ने गधे का दिमाग खा लिया।  वापस आने पर शेर ने देखा कि गधे का दिमाग अपनी जगह पर नहीं है।  उसने सियार से पूछा तो उसने बड़े ही सफाई  और प्यार से कहा " महाराज ! यदि इसके पास दिमाग होता तो  भला यह मने के लिए आप के पास क्यों आता ।  " सियार की बातों पर शेर ने  विश्वास कर लिया। इस तरह से सियार अपने बुद्धिबल से गधे का दिमाग खाने में सफल हो गया।


शिक्षा :- "बुद्धिबल से सफतला के उपाय निकल आते हैं। जिस तरह से सियार ने अपने बुद्धिबल से शेर को संतुष्ट कर दिया था कि गधे के पास दिमाग ही नहीं था। "



द्वारा  :- सुविज्ञ  राय
कक्षा  :- १० (२०१५-१६)

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